गांव की आवाज न्यूज मावली (लिलेश सुयंल)| 02 जुन 2025- मावली पंचायत समिति के विभाजन के बाद बनी नई पंचायत समिति खेमली को लेकर विरोध बढ़ गया है। सोमवार को स्थानीय लोगों ने मावली उपखंड अधिकारी रमेश सीरवी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इसमें मांग की गई कि खेमली की जगह घासा को पंचायत समिति का मुख्यालय बनाया जाए। इसके पीछे जनहित, प्रशासनिक सुविधा और भौगोलिक स्थिति को कारण बताया गया।
ज्ञापन में कहा गया कि खेमली को मुख्यालय बनाना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। हाल ही में मावली तहसील के सबसे बड़े गांव घासा को तहसील मुख्यालय बनाया गया है। ऐसे में पंचायत समिति का मुख्यालय भी घासा में होना चाहिए। इससे आमजन को एक ही परिसर में सभी सुविधाएं मिल सकेंगी। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि खेमली पंचायत समिति का गठन जनहित और प्रशासनिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि राजनीतिक लाभ के लिए किया गया है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर सामाजिक तानाबाना बिगाड़ने और तुष्टीकरण की नीति अपनाने का आरोप लगाया गया।
पुर्व मावली विधायक धर्मनारायण जोशी ने भी खेमली को मुख्यालय बनाए जाने का विरोध किया था। उन्होंने जिला कलेक्टर उदयपुर को पत्र लिखकर बदलाव की मांग की थी। लेकिन पूर्व सरकार ने न तो विधायक की बात मानी, न ही जनता की भावना का सम्मान किया।
ज्ञापन में यह भी कहा गया कि खेमली पंचायत समिति का गठन असंतुलित है। इससे क्षेत्रीय संतुलन बिगड़ रहा है। घासा को मुख्यालय बनाने से प्रशासनिक संचालन आसान होगा। विकास कार्यों में तेजी आएगी। स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री से अपील की कि जनभावनाओं का सम्मान करते हुए पंचायत समिति खेमली की जगह घासा बनाई जाए। इससे आमजन को राहत मिलेगी। क्षेत्र का संतुलित विकास संभव हो सकेगा।

इस अवसर पर घासा भाजपा मंडल अध्यक्ष पप्पू सिंह कितावत, ओबीसी मोर्चा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य गणेश लाल कुम्हार, मांगथला पंचायत के सरपंच प्रशासक युधिष्ठिर पुरोहित, रख्यावल सरपंच प्रशासक कान सिंह राव, घासा उप सरपंच प्रकाश डांगी, मंडल अध्यक्ष पर्वत सिंह कितावत, मंडल महामंत्री प्रकाश वैष्णव, पिंटू जोशी, ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष प्रेमलाल जाट, मदन जाट, मोहन पुरोहित, देव पुरोहित, गोविंद पुरोहित, दीपक पुरोहित, श्याम पुरोहित, ऋषभ पुरोहित, ध्रुव पुरोहित, शंकर दास, रतन लाल डांगी, किशन लाल डांगी, राजेश डांगी, बाबू लाल डांगी, दिनेश डांगी, बंसी लाल, नन्द लाल पुरोहित, राहुल पुरोहित, कमलेश आचार्य सहित अनेक ग्रामीण मौजूद रहे।
खेमली को मुख्यालय बनाने का निर्णय वास्तव में विवादास्पद लगता है। घासा को तहसील मुख्यालय बनाने का फैसला तर्कसंगत और जनहित में लगता है। पंचायत समिति का मुख्यालय भी घासा में होना चाहिए, यह सही कदम होगा। स्थानीय लोगों के आरोपों पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। क्या यह सच है कि खेमली पंचायत समिति का गठन राजनीतिक लाभ के लिए किया गया था? पूर्व सरकार के फैसलों पर सवाल उठाना जरूरी है, क्योंकि जनता की भावना का सम्मान होना चाहिए। क्या मुख्यमंत्री जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए सही निर्णय लेंगे?