गांव की आवाज न्यूज मावली (लिलेश सुयंल) 12 अगस्त 2025– मावली उपखंड क्षेत्र की ग्राम पंचायत मांगथला में इस वर्ष पारंपरिक गवरी का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि यह आयोजन लगभग नौ वर्षों के लंबे अंतराल के बाद हो रहा है, जिससे गांव में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। गवरी की शुरुआत के साथ ही गांव में सवा महीने तक धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की श्रृंखला चलेगी।
रात्रि जागरण के साथ हुआ शुभारंभ
गवरी का शुभारंभ रविवार रात्रि को भव्य रात्रि जागरण के साथ हुआ। इसके अगले दिन सोमवार को समस्त ग्रामीणों की मौजूदगी में मां गौरजा की विशेष पूजा-अर्चना की गई। इस दौरान गवरी कलाकारों ने पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र धारण कर, विशेष परिधान पहनकर मां गौरजा की आराधना में गवरी नृत्य प्रस्तुत किया।
सवा महीने तक गूंजेगी गवरी
गवरी कलाकार अब सवा महीने तक थाली और मादल की गूंज के साथ गांव-गांव जाकर गवरी नृत्य प्रस्तुत करेंगे। वे गांव की बहन-बेटियों सहित आसपास के गांवों में भी जाकर अपनी प्रस्तुति देंगे। गवरी के दौरान सामाजिक सरोकारों से जुड़े विभिन्न खेलों और कथाओं के माध्यम से जनजागरण का कार्य भी किया जाएगा। गवरी के मुख्य पात्रों में राई माता और राई बुढ़िया प्रमुख हैं।
सख्त नियमों का पालन करेंगे कलाकार
गवरी कलाकारों ने पूरे आयोजन काल यानी सवा महीने तक कुछ विशेष नियमों का पालन करने का संकल्प लिया है। इनमें –
सवा महीने तक घर न जाना,
दिन में एक बार ही भोजन करना,
हरी सब्जी, मांस और शराब का सेवन नहीं करना,
नंगे पांव रहना,
रात्रि विश्राम मंदिर परिसर में करना – जैसे संकल्प शामिल हैं।
गवरी का सांस्कृतिक महत्व
गवरी एक लोकधार्मिक नाट्य कला है, जो मेवाड़ अंचल की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा से जुड़ी हुई है। यह आयोजन गांव की सामूहिक आस्था, सामाजिक एकता और लोक परंपराओं को जीवित रखने का माध्यम है। मांगथला में हो रहे इस आयोजन से ग्रामीणों में भारी उत्साह है, और सभी इसे सफल बनाने में जुटे हुए हैं।